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आत्मदीप श्रृंखला में आपका स्वागत है

🕯️ आत्मदीप

"खुद से मिलने की 7 दिन की यात्रा"

एक अनुभव, जो आपको भीतर से बदल सकता है।

❓ क्या आप ये महसूस करते हैं?

  • हर दिन की भाग-दौड़ में कहीं खुद को खो बैठे हैं?
  • सब कुछ है, लेकिन फिर भी एक खालीपन साथ चलता है?
  • आप मुस्कुराते हैं, लेकिन दिल भीतर से शांत नहीं होता?

अगर हाँ...
तो आप अकेले नहीं हैं — और शायद अब समय आ गया है खुद से फिर जुड़ने का।

✨ आत्मदीप क्या है?

आत्मदीप कोई कोर्स नहीं।
ना कोई प्रवचन।

यह 7 दिन की एक आत्म-खोज यात्रा है।
जहाँ आप रोज़ एक संवेदनशील ऑडियो और एक आत्म-खोज से जुड़ा टास्क पायेंगे — कुछ ऐसा जो आपको फिर से “आप” से मिलवाएगा।

यह एक छोटा स्टेप है... लेकिन इसकी गूंज बहुत दूर तक जाएगी।

🙌 किसके लिए है?

  • जो जीवन से ऊब गए हैं
  • जिन्हें दिशा नहीं मिल रही
  • जो बाहर से ठीक लेकिन भीतर से उलझे हैं
  • या जो सिर्फ 7 दिन में खुद के करीब आना चाहते हैं

🎙️ टीम कौन है?

  • अनमोल गुप्ता – इस यात्रा के संकल्पकर्ता और गाइड
  • शुक्ला जी – अभ्यास और दर्शन के अनुभवी मार्गदर्शक
  • आर्या मिश्रा – हर सुबह एक नई ऊर्जा लेकर आने वाली आपकी आवाज़

🔍 इसमें क्या मिलेगा?

🗓️ हर दिन:

  • 1 सुंदर, सोच को झकझोरने वाला ऑडियो मेसेज
  • 1 साधारण लेकिन गहरा टास्क, जिससे आपको अपनी सोच और जीवन में फर्क दिखेगा
  • एक्सेस हमारे Private Telegram Group में

💡 आप जब चाहें, जैसे चाहें — इसे अपने समय पर कर सकते हैं।

💛 कीमत: सिर्फ ₹39

न ये "महंगा कोर्स" है, न "फ्री का दिखावा"।
₹39 सिर्फ एक commitment है — ताकि आप इसे दिल से करें।

जब हम थोड़ी-सी कीमत चुकाते हैं, तो हम ज़िम्मेदारी लेते हैं।
और ज़िम्मेदारी से ही परिवर्तन आता है।

🚪 क्या आप तैयार हैं?

🧘 7 दिन. 7 आवाज़ें. 7 टास्क.
लेकिन एक ही लक्ष्य — खुद से जुड़ाव।

👇👇👇

🎯 ₹39 में आत्मदीप जॉइन करें

Register Now

रजिस्ट्रेशन ओपन है — सिर्फ सीमित सीटें।
राधे राधे। 🌿



🪔 आत्मदीप – 7 दिन की आत्म-यात्रा


🟡 Day 1 — तुम कब से ख़ुद से बिछड़े हुए हो?
Theme: The beginning of inner reflection.

हम कितनी देर से खुद को ही नजरअंदाज़ कर रहे हैं?
ये दिन हमें रुककर पूछने देता है — “मैं वाक़ई ठीक हूँ?”
एक चिट्ठी खुद को।


🟡 Day 2 — मन का बोझ कितना भारी है?
Theme: Emotional cleansing and acceptance.

बीते रिश्ते, गिल्ट, फेलियर, अफ़सोस...
जिनका बोझ हम रोज़ ढोते हैं, उनसे मुक्ति का पहला प्रयास।


🟡 Day 3 — तुम किसकी मंज़िल बन गए हो?
Theme: The self trapped in others’ expectations.

हम खुद की पसंदों से ज़्यादा दूसरों की मंज़िलों पर क्यों चलने लगे?
अपनी आवाज़ पहचानने की शुरुआत।


🟡 Day 4 — खामोशी से डर क्यों लगता है?
Theme: Facing the inner voice.

जब हम अकेले होते हैं तो बेचैनी क्यों होती है?
क्योंकि वहाँ वो ‘मैं’ है जिसे हमने दबा दिया।


🟡 Day 5 — क्या तुमने कभी खुद को माफ़ किया है?
Theme: Self-compassion and forgiveness.

बहुत से ज़ख्म हैं जो हमने खुद को दिए हैं —
आज उन्हें छूने और माफ़ करने का दिन है।


🟡 Day 6 — मैं क्या वाकई जिंदा हूँ?
Theme: Awareness toward life.

क्या हम वास्तव में जी रहे हैं या सिर्फ़ जीवन का अभिनय कर रहे हैं?
एक दिन पूरी जागरूकता में बिताना।


🟡 Day 7 — लौटना… खुद की ओर।
Theme: Self-acceptance and new beginnings.

यह अंतिम दिन है, लेकिन शुरुआत का संकेत भी।
आज हम खुद को फिर से अपनाते हैं — बिना शर्त, पूरे प्रेम से।


❤️ कुछ आखिरी शब्द...

ये सफर दुनिया को बदलने का नहीं है।
ये सफर खुद को महसूस करने का है।
एक बार खुद से मिल लिया... तो बाकी सब साफ हो जाता है।

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